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"राजस्थान के लिए कृषि में आकस्मिक घटना की तैयारी - 2022" पर राज्य स्तरीय इंटरफेस बैठक आयोजित

"राजस्थान के लिए कृषि में आकस्मिक घटना की तैयारी - 2022" पर राज्य स्तरीय इंटरफेस बैठक आयोजित

18 जुलाई, 2022, हैदराबाद

भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद और कृषि विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा संयुक्त रूप से "राजस्थान के लिए खरीफ - 2022 के दौरान कृषि में आकस्मिक घटनाओं की तैयारी में वृद्धि" पर एक राज्य स्तरीय वर्चुअल इंटरफेस बैठक आज यहां आयोजित की गई।

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श्री दिनेश कुमार, प्रमुख सचिव (कृषि एवं बागवानी), राजस्थान सरकार; श्री काना राम, आयुक्त, कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के साथ; डॉ. एम. उस्मान, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिडा, हैदराबाद; डॉ. एस.के. शर्मा, निदेशक (अनुसंधान), महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान; डॉ. पी. शेखावत, निदेशक (अनुसंधान), स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर, राजस्थान; डॉ. टी. सत्यवती, परियोजना समन्वयक, बाजरे के लिए एआईसीआरपी, जोधपुर, राजस्थान; इस अवसर पर भाकृअनुप संस्थानों के प्रतिनिधि और कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के जिला/मंडल अधिकारी उपस्थित थे।

जिला कृषि में आकस्मिक योजनाओं के विकास और आधुनिकीकरण में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ भाकृअनुप-क्रिडा, हैदराबाद द्वारा किए गए प्रयासों और मौसम की गड़बड़ी के मामले में बैठक के दौरान आकस्मिक घटनाओं के कार्यान्वयन पर विभाग के अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर चर्चा की गई।

वर्ष 2021-22 की तुलना में, राज्य में सामान्य से अधिक वर्षा हुई और सभी जिलों में कई फसलों की बुवाई में अच्छी प्रगति हुई। जिन मण्डलों/जिलों में 15 जुलाई तक कम मात्रा में बुवाई हो रही थी, उन्होंने भी बुवाई क्षेत्र में वृद्धि की है। उम्मीद है कि इस मौसम में राज्य में अच्छी फसल उत्पादकता और उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।

बैठक के दौरान निम्नलिखित प्रमुख सिफारिशें की गईं:

  • चूंकि राज्य में मौसम के दौरान और अलग-अलग महीनों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है, इसलिए ब्लॉक स्तर पर वर्षा की घटनाओं की निगरानी करने का सुझाव दिया गया है, क्योंकि इससे खेतों में अस्थायी जलभराव होने की संभावना को रोका जा सकता है।
  • मिट्टी की जानकारी के आधार पर, उच्च वर्षा की घटनाओं के कारण फसल की वृद्धि में बाधक होने के कारणों की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में अस्थायी जलभराव की संभावना वाले क्षेत्रों को चिह्नित करने की जरूरत है।
  • प्रत्येक जिले में अस्थायी जलभराव से प्रभावित होने वाले संवेदनशील फसलों की निगरानी के उद्देश्य से पहचान की जानी है।
  • सूखे की अवधि की जानकारी, यदि कोई हो, भाकृअनुप-क्रिडा द्वारा साप्ताहिक आधार पर राज्य सरकार को साझा की जानी है, जिससे उस पर कार्रवाई शुरू की जा सके।
  • यदि सामान्य वर्षा होने की संभावना हो तो विभिन्न फसलों में कीट एवं रोग की समस्याओं पर निगरानी करने की जरूरत है ।

(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)

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