14 जून, 2024, बैरकपुर
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के गुणवत्ता आश्वासन पर जागरूकता सह क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’ नारे के साथ किया गया। इसका आयोजन राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड और भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता द्वारा भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान में भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, उत्तर 24 परगना (अतिरिक्त) के समन्वय में आज किया गया।
भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ, बैरकपुर के निदेशक, डॉ. गौरांग कर ने मात्रा से गुणवत्ता पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया और मृदा परीक्षण की विश्वसनीयता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली का आग्रह किया।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए सुसंगत और विश्वसनीय परीक्षण तथा अंशांकन सुनिश्चित करने में नीतियों, प्रक्रियाओं, दस्तावेज़ीकरण एवं नियंत्रण सहित गुणवत्ता आश्वासन योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को मृदा परीक्षण परिणामों के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से किसानों को सटीक सिफारिशें देने के लिए गुणवत्ता आश्वासन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता के बारे में बात की।
एनएबीएल, कोलकाता की उप-निदेशक सुश्री मालंचा दास ने एनएबीएल की भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि एनएबीएल परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए आईएसओ/ आईईसी 17025 जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों के आधार पर प्रयोगशालाओं का मूल्यांकन करता है। उन्होंने मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की मान्यता/प्रत्यायन के महत्व और प्रोटोकॉल के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम के दौरान भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ के फसल उत्पादन प्रभाग के प्रमुख डॉ. संजय साहा और भाकृअनुप-केवीके, उत्तर 24 परगना (अतिरिक्त) के प्रमुख डॉ. तन्मय समाजदार भी मौजूद थे।
कार्यक्रम में आईसीएआर भाकृअनुप-केवीके तथा भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ से संबंधित अन्य प्रयोगशालाओं के कुल 40 वैज्ञानिकों/ प्रभारियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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