लद्दाख के जनजातीय पशुपालकों के लिए याक, दिरांग के पालन के लिए भाकृअनुप-एनआरसी द्वारा सहायक उपाय
लद्दाख के जनजातीय पशुपालकों के लिए याक, दिरांग के पालन के लिए भाकृअनुप-एनआरसी द्वारा सहायक उपाय

8-11 नवंबर, 2023, लद्दाख

भाकृअनुप-राष्ट्रीय याक अनुसंधान केन्द्र, दिरांग, अरुणाचल प्रदेश ने 8 से 11 नवंबर, 2023 के दौरान लेह जिले के हनले और खलत्से तथा केन्द्र शासित प्रदेश के कारगिल जिले के बोधखरबू में पशुपालन विभाग, केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के सहयोग से वैज्ञानिक याक पालन पर तीन जागरूकता-सह-सहायक कार्यक्रम आयोजित किए गए।

Supportive measures of ICAR-NRC on Yak, Dirang to the tribal livestock farmers of Ladakh

इन कार्यक्रमों से कुल 300 आदिवासी पशुपालक किसान लाभान्वित हुए, जो ज्यादातर अपनी आजीविका के लिए याक तथा याक-मवेशी संकर चराने पर निर्भर थे। किसानों को उनकी आय में सुधार के लिए चारे की खेती एवं संरक्षण, वैज्ञानिक प्रजनन और पशु उत्पादों के मूल्य वर्धन के बारे में शिक्षित किया गया।

डॉ. मोहम्मद इकबाल, निदेशक, पशु, भेड़ पालन एवं मत्स्य पालन ने प्रतिभागियों को वैज्ञानिक पालन तथा प्रबंधन विधियों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया, और उनके लिए ज्यादातर बर्बाद हो चुके याक फाइबर के वृहद उपयोग के लिए चावर जैसी संस्थान की याक फाइबर प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों को चुनने तथा नियमित आय सृजन के लिए यहां से सहायता लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

डेमचोक के एक याक पालक किसान श्री रिगज़िन ने जंगली जानवरों द्वारा याक के शिकार के बारे में अपनी चिंता जताई और अपने जानवरों को दुर्घटनाओं और अन्य अनिश्चितताओं से बचाने के लिए सरकारी हस्तक्षेप तथा प्रोत्साहन का आग्रह किया।

श्री पद्मा दोरजे, पार्षद, बोधखरबू, डॉ. गुलज़ार हुसैन, पशुधन विकास अधिकारी, कारगिल और पशुपालन विभाग कारगिल के डॉ. आशिक ने बोधखरबू में आयोजित एक अन्य एसटीसी कार्यक्रम में उपस्थित होकर इसकी शोभा बढ़ाई, जिसमें 100 याक और याक-मवेशी संकर पालन द्वारा जागरूकता के माध्यम से संस्थान के वैज्ञानिकों ने याक का वैज्ञानिक प्रबंधन तथा चंवर बनाने के प्रदर्शन द्वारा लाभान्वित किया गया।

मुख्य कार्यकारी पार्षद, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद, श्री ताशी ग्यालसन, 11 नवंबर, 2023 को लेह जिले के खालत्से में समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने वैज्ञानिक और सहायक इनपुट के लिए लद्दाख में याक पालन को बढ़ावा देने के ईमानदार प्रयासों के लिए संस्थान के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले किसानों से क्षेत्र में याक पालन जैसी जैविक खेती को अपनाने और बढ़ावा देने की अपील की और उन्हें यूटी के पशुपालन विभाग के सहयोग से याक पर भाकृअनुप-एनआरसी में याक उत्पाद प्रसंस्करण पर कौशल विकास में सहायता करने का आश्वासन भी दिया। किसानों को लद्दाख में याक पालन के समग्र सुधार के लिए संस्थान की कृत्रिम गर्भाधान और अन्य चारा संरक्षण प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय याक अनुसंधान केन्द्र, दिरांग)

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