“आत्मनिर्भर तटीय कृषि - 2022" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन @भारत का अमृत महोत्सव
11 – 13 मई, 2022,गोवा
भाकृअनुप-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा ने 11 से 13 मई, 2022 तक "आत्मनिर्भर तटीय कृषि" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
संगोष्ठी का आयोजन, तटीय कृषि अनुसंधान संघ के सहयोग से भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में "भारत का अमृत महोत्सव" के एक भाग के रूप में किया गया।
मुख्य अतिथि, श्री श्रीपद येसो नाइक, केंद्रीय पर्यटन, शिपयार्ड और जलमार्ग राज्य मंत्री ने उद्घाटन संबोधन में तटीय पारिस्थितिकी तंत्र में कृषि को अपनाने के लिए विभिन्न बाधाओं के बारे में जानकारी दी। मंत्री ने कृषि-पारिस्थितिकी पर्यटन द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए नए रास्ते तालाशने पर जोर दिया।
माननीय अतिथि, श्री नीलेश कैबराल, पर्यावरण, विधायी मामलों, कानून और न्यायपालिका और लोक निर्माण विभाग, गोवा सरकार के मंत्री ने पर्यावरण के अनुकूल तरीकों, बांध स्थिरीकरण, मछली पालन और कृषि के एकीकरण के माध्यम से गोवा की 5 वीं शताब्दी पुरानी पारंपरिक कृषि प्रणाली को पुनर्जीवित करने तथा गोवा को कृषि में आत्मनिर्भर राज्य बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
विशिष्ट अतिथि, श्री ए.के. मिश्रा, आईएएस, सचिव (कृषि, पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान), गोवा सरकार ने प्रतिभागियों से आत्मनिर्भर कृषि के लिए निहित चुनौतियों पर विचार करने और तटीय क्षेत्र की पोषण सुरक्षा को संबोधित करने का आग्रह किया।
विशिष्ट अतिथि, श्री महेश पाटिल, अध्यक्ष, गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गोवा सरकार ने कहा कि खजान भूमि को एक एकीकृत कृषि दृष्टिकोण के माध्यम से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और किसानों की आय में सुधार के लिए कृषि-पारिस्थितिकी पर्यटन को प्रोत्साहित करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप ने तटीय पारिस्थितिकी तंत्र में जटिल समस्याओं के बावजूद तटीय कृषि के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। डीडीजी ने उच्च घनत्व वाले काजू के बागानों के महत्व और तटीय किसानों की आय को दोगुना करने के लिए पशु-पालन क्षेत्र की क्षमता को दोहन करने के महत्व को रेखांकित किया।
डॉ. परवीन कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए तटीय कृषि के परिदृश्य को रेखांकित किया और संगोष्ठी के दौरान आयोजित किए जाने वाले विभिन्न सत्रों और विचार-विमर्शों के बारे में जानकारी प्रदान की।
गणमान्य व्यक्तियों ने पद्म श्री, श्री अमाई महालिंग नाइक को उनके नवाचार के लिए भी सम्मानित किया, जिसने जल संरक्षण और बंजर भूमि को हरित और उपजाऊ भूमि में परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में लगभग 260 प्रतिभागियों ने उपस्थिति दर्ज की।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)