भारत की प्रमुख फसल प्रणालियों में उर्वरक उपयोग दक्षता को संबोधित करने के लिए, एन-टेग्रेशनटीएम प्रौद्योगिकी पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
28 अप्रैल, 2022, बारामती
भाकृअनुप-राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, बारामती, पुणे, महाराष्ट्र द्वारा 27 से 28 अप्रैल, 2022 तक आयोजित "भारत की प्रमुख फसल प्रणालियों में उर्वरक उपयोग दक्षता को संबोधित करने के लिए एन-टेग्रेशनटीएम प्रौद्योगिकी के साथ उत्पादित एग्रोटेन निगमित यूरिया" पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आज संपन्न हुआ।
कार्यशाला का आयोजन सिमिट (CIMMYT), भारत और भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा के सहयोग से किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप ने देश में वर्तमान उर्वरक संकट, कोई भी नीतिगत - सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक निर्णय लेने में जटिलताओं एवं दक्षतापूर्ण उर्वरक उपयोग को बढ़ाने के विकल्पों को रेखांकित किया।
डॉ. एम.एल. जाट, प्रधान वैज्ञानिक और सिस्टम एग्रोनोमिस्ट, सिमिट (CIMMYT), नेपाल ने “परियोजना कार्यशाला” के महत्व और उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. हिमांशु पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईएएसएम, बारामती ने "यूरिया उर्वरक की दक्षता बढ़ाने" यूरिया की खोज, कारखाने से भोजन तक इसको निर्धारित करना, पर्यावरण को नुकसान और वैश्विक अमोनिया उत्सर्जन में इसका योगदान और इसकी उपयोग दक्षता में सुधार के साथ नुकसान को कम करने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार-विमर्श किया।
डॉ. एच.एस. जाट, प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विज्ञान) और परियोजना के समग्र प्रधान अन्वेषक, भाकृअनुप-सीएसएसआरआई, करनाल ने सभी 7 स्थानों के शोधों के मुख्य निष्कर्षों पर प्रकाश डाला।
वैज्ञानिकों, तकनीकी और प्रशासनिक स्टाफ सदस्यों, छात्रों और शोध विद्वानों सहित लगभग 150 प्रतिभागियों ने हाइब्रिड मोड में पूर्ण सत्र में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, बारामती, पुणे, महाराष्ट्र)