भाकृअनुप-सीआईएई, भोपाल में राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

22-23 दिसंबर 2022, भोपाल

भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (सीआईएई), भोपाल में 22-23 दिसंबर, 2022 के दौरान 'छोटे और सीमांत किसानों के कृषि-व्यवसाय के लिए कृषि उपज के प्रसंस्करण, भंडारण और विपणन में हालिया प्रगति' पर एक राष्ट्रीय बहु-हितधारक कार्यशाला का आयोजन, अक्षय कृषि परिवार और भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास, गोविंद नगर, मध्य प्रदेश के सहयोग से किया गया।

National Workshop Concluded at ICAR-CIAE, Bhopal

कार्यशाला का उद्देश्य पारंपरिक भंडारण, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन तकनीकों तथा उनकी समकालीन प्रासंगिकता एवं अनुभवों पर विचार-मंथन को साझा करना; किसान-केन्द्रित विकेन्द्रीकृत भंडारण, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन प्रणाली; तथा बाजार-संचालित कृषि से उत्पादक-संचालित कृषि में परिवर्तित करने के लिए बढ़ावा देना था।

कार्यशाला में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की, जिनमें ज्यादातर किसान, किसान सामूहिक (सहकारी, एफपीसी, आदि), उद्यमी, विभिन्न राज्य कृषि विभागों के प्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक और स्वयंसेवी संगठन शामिल थे।

22 दिसंबर, 2022 को कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, डॉ. एस.एन. झा, उप महानिदेशक (कृषि इंजीनियरिंग), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि-व्यवसाय के अवसरों के लिए ग्रामीण परिसर में नई तकनीक और पारंपरिक कृषि-आधारित प्रथाओं की विशाल संभावनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए उत्पादन क्षेत्र में कृषि-प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

विशिष्ट अतिथि, श्री. सी.म. ठाकुर, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी, सदस्य सचिव, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थानीय रूप से उत्पादित, मूल्य वर्धित उत्पादों के विपणन के लिए ब्रांडिंग के महत्व के बारे में जानकारी दी।

डॉ. सी.आर. मेहता, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएई ने अपने स्वागत संबोधन में संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

श्री. मनोज सोलंकी, अध्यक्ष, अक्षय कृषि परिवार ने किसानों के पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ नवीन प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में जानकारी दी।

डॉ. राम भावसार, भाऊ साहेब भुस्कुट स्मृति लोक न्यास ने कृषि शिक्षा विद्यालयों की स्थापना और उन्नत कृषि तकनीकों से प्राप्त होने वाले लाभों सहित लोक न्यास की गतिविधियों से अवगत कराया।

डॉ. गजानंद डांगे, अध्यक्ष, योजक सेंटर फॉर रिसर्च एंड स्ट्रैटेजिक प्लानिंग फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट, पुणे ने केन्द्रीकृत एवं विकेन्द्रीकृत भंडारण प्रणालियों को एक साथ लेकर नीति बनाने का आग्रह किया। उन्होंने गांव के स्तर पर भंडारण गोदामों और स्वदेशी मॉल की स्थापना और इसकी पैकिंग पर उत्पादित वस्तुओं की सामग्री का विवरण देने के अलावा कृषि उपज के स्व-प्रमाणीकरण पर जोर दिया।

इंदौर जिले के एक प्रगतिशील किसान, श्री जितेन्द्र पटीदार ने पारंपरिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके हल्दी उत्पादन और प्रसंस्करण का अपना अनुभव साझा किया। उनके द्वारा स्थापित ब्रांड 'शगुन' द्वारा उपलब्ध उत्पाद स्थानीय बाजार में काफी मांग पैदा की है।

इसी प्रकार, होशंगाबाद की साई ग्रो मशरूम कंपनी ने स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण में रोजगार दिया है। इस तरह किसानों की राय थी कि प्रसंस्करण को विशेष रूप से स्थानीय/कुटीर स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल)