'चारा उत्पादन, उपयोग और संरक्षण पर गौशालाओं' के लिए आभासी प्रशिक्षण कार्यक्रम
21-22 जुलाई, 2020
भाकृअनुप-भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झाँसी, उत्तर प्रदेश ने 21 से 22 जुलाई, 2020 तक ‘चारा उत्पादन, उपयोग और संरक्षण पर गौशालाओं के लिए आभासी प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का आयोजन किया।
डॉ. वल्लभभाई कथिरिया, अध्यक्ष, राष्ट्रीय कामधेनु अयोग, नई दिल्ली ने अपने उद्घाटन संबोधन में देसी नस्लों के संरक्षण और विकास, गायों के बेहतर प्रबंधन और उनके कल्याण के लिए कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन एवं गौशालाओं के उचित कामकाज का आग्रह किया।
डॉ. वाई. पी. सिंह, अतिरिक्त महानिदेशक (एफएफसी), भाकृअनुप ने अपने संबोधन में गौशालाओं के कुशल और लाभदायक प्रबंधन के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर जोर दिया।
डॉ. वी. के. यादव, निदेशक, भाकृअनुप-आइजीएफआरआइ, झाँसी ने संस्थान की गतिविधियों को रेखांकित किया।
गौशालाओं के प्रतिनिधियों ने गृहस्थ मवेशियों की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध कृषि योग्य और गैर कृषि योग्य भूमि से चारे की उपलब्धता में सुधार के लिए तकनीकी मदद और चारा बीज उपलब्धता की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गौशालाओं के रखवालों और प्रबंधकों को बेहतर चारा उत्पादन और उपयोग तकनीक, पशु स्वास्थ्य के रखरखाव और पर्यावरण के अनुकूल पशु उत्पादों के उत्पादन और विपणन के माध्यम से अपने खर्चों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनाना था।
आभासी कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के लगभग 80 गौशालाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झाँसी, उत्तर प्रदेश)