19 जून, 2024, नादिया
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता द्वारा दक्षिण एशिया के लिए अनाज की प्रणाली पहल-अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केन्द्र के सहयोग से भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, नादिया में लैंडस्केप डायग्नोस्टिक सर्वेक्षण पर दो दिवसीय प्रशिक्षण आज संपन्न हुआ।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि, डॉ. जी. साहा, कुलपति, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल, ने लैंडस्केप डायग्नोस्टिक सर्वेक्षण में जलवायु परिवर्तन पहलू को एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने इस बात पर जोर दिया कि एलडीएस फसल की खेती पर डेटा एकत्र करता है, जिससे शोधकर्ताओं को पैदावार का अनुमान लगाने, प्रौद्योगिकियों को लक्षित करने और विभिन्न वातावरणों और प्रथाओं में किसानों की पैदावार को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों की पहचान करके खेत पर शोध को पूरक बनाने में मदद मिलती है। डॉ. डे ने आगे कहा कि ओडीके डेटा संग्रह को सरल बनाता है और कागज़-आधारित प्रणालियों की तुलना में लागत, त्रुटियों और देरी को कम करता है, वास्तविक समय पर ट्रैकिंग, आसान अपडेट और बेहतर डेटा गुणवत्ता प्रदान करता है।
कार्यक्रम के दौरान बीसीकेवी के निदेशक, विस्तार शिक्षा, डॉ. के. ब्रह्मचारी भी मौजूद थे। कार्यक्रम में ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल के भाकृअनुप-केवीके के कुल 10 प्रमुखों एवं एसएमएस ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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