कृषि अभियांत्रिकी संभाग
प्रभाग के अधिदेशों में कृषि अभियांत्रिकी में अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों की योजना बनाना, उनका समन्वय और निगरानी करने के साथ-साथ एक सूचना रिपोजिट्री के रूप में कार्य करना शामिल है। यह प्रभाग पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके कृषि उत्पादन और उत्पादन-उपरांत यांत्रिकीकरण से जुड़ी प्रौद्योगिकियों के विकास एवं प्रदर्शन में संलग्न है जिसमें सिंचाई तथा जल निकासी गतिविधियां; तथा कृषि उत्पादों और उपोत्पादों का फसलोत्तर एवं मूल्य वर्धन शामिल है। प्रभाग के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत कुल छ: संस्थान, छ: अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं, तीन अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजनाएं, पांच समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं और 36 ईएमफ अनुसंधान परियोजनाएं शामिल हैं।
विज़न
फार्म मशीनीकरण, मूल्य वर्धन तथा उत्पादन एवं कटाई उपरांत परिचालनों में ऊर्जा प्रबंधन के अभियांत्रिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से भारतीय कृषि को कहीं अधिक टिकाऊ, लाभप्रद और प्रतिस्पर्धी उद्यम बनाना ।
मिशन
विभिन्न कृषि प्रणालियों की उत्पादकता और लाभप्रदता में टिकाऊ वृद्धि हासिल करने के लिए जरूरत आधारित एवं क्षेत्र विशिष्ट अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकियों का विकास करना और उन्हें प्रस्तुत करना।
अधिदेश
कृषि अभियांत्रिकी में अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों की योजना बनाना, उनका समन्वय और निगरानी करने के साथ-साथ एक सूचना रिपोजिट्री के रूप में कार्य करना।
संगठनात्मक ढांचा
प्रमुख क्षेत्र
- सिंचित, बारानी तथा पर्वतीय कृषि, बागवानी, पशुधन और मात्स्यिकी उत्पादन में समयबद्ध एवं प्रभावी कृषि परिचालनों के लिए सटीक मशीनरी और रणनीतियों का विकास करना;
- मानव, पशु तथा यांत्रिकी प्रणालियों की कार्यक्षमता को बढ़ाना और कृषि परिचालनों में व्यावसायिक जोखिमों में कमी लाना;
- कृषि उत्पादन एवं प्रसंस्करण गतिविधियों में पारम्परिक एवं गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का प्रबंधन एवं उपयोगिता;
- विकेन्द्रीकृत पॉवर उत्पन्न करने के लिए सरप्लस कृषि अपशिष्टों की उपयोगिता;
- कटाई उपरांत नुकसान में कमी लाना, कृषि उत्पादों, प्रसंस्करण में मूल्य वर्धन तथा उपोत्पादों की उपयोगिता;
- उत्पादन कृषि में रोबोटिक्स तथा ड्रोन का तथा खाद्य प्रसंस्करण में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स का अनुप्रयोग;
- प्राकृतिक राल और गोंद का फसलोत्तर प्रबंधन; प्राकृतिक रेशा का निष्कर्षण, प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन;
- कार्यपरक/न्यूट्रास्यूटिकल्स खाद्य एवं इंटेलीजेंट पैकेजिंग प्रणालियों का सृजन
उपलब्धियां
- 300 प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण/लाइसेंस प्रदान किया गया
- 142 कृषि प्रसंस्करण केन्द्रों का सृजन
- भारत का पहला नैनो सेलुलोज संयंत्र स्थापित
- प्रोटीन को अलग करने वाला पॉवर संयंत्र स्थापित
- 59 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं अनुमोदित
- 4 रेफरल परीक्षण प्रयोगशालाओं का सृजन किया जा रहा है
- भारत के लिए कटाई उपरांत नुकसान का दो बार आकलन किया गया
- भंडारण के दौरान होने वाले नुकसान का आकलन किया जा रहा है
- वार्षिक आधार पर प्रौद्योगिकी एवं मशीनरी प्रदर्शन मेले का आयोजन
- राष्ट्रीय कृषि जैव सूचनाप्रणाली ग्रिड (NABG) की स्थापना
- भाकृअनुप में एमआईएस एवं एफएमएस का विकास एवं पहल
- भाकृअनुप ईआरपी प्रणाली का क्रियान्वयन किया गया
भावी योजना (अगले 10 वर्षो के लिए योजना)
- बेहतर अनुसंधान एवं विकास तथा प्रसार कार्यों के वर्तमान स्तर को लगातार बनाये रखना;
- उत्पादन एवं उत्पादन-उपरांत यांत्रिकीकरण के शीघ्र स्तर के लिए सीआईएई तथा सीआईपीएचईटी के दस क्षेत्रीय केन्द्र
- ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने हेतु @ 200 खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण व इन्क्यूबेशन केन्द्र
- ग्रामीण युवाओं को सशक्त बनाने और स्वरोजगार उत्पन्न करने हेतु @ 200 फार्म मशीनरी ऑपरेशन व रखरखाव प्रशिक्षण केन्द्र
- क्षेत्रीय फसलों के लिए @ 60 लघु फार्म यांत्रिकीकरण प्रदर्शन केन्द्र
हाल ही में विकसित उपयोगी प्रौद्योगिकियां एवं उपकरण
संस्थान
अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं/अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजनाएं/समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं
परिणाम फ्रेमवर्क डाक्यूमेंट
संपर्क
डॉ एस एन झा, उप महानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी)
कृषि अभियांत्रिकी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
फोनः (कार्यालय) 91-11-25843415 फैक्सः 91-11-25842660
ई-मेलः ddgengg[at]icar[dot]org[dot]in